बुधवार, 14 सितंबर 2016

गांव का विकास - हिंदी

हर कोई चाहता है की उसके गांव में जो समस्या है,वह दूर हो जाए ताकि वह अपना जीवन ख़ुशी ख़ुशी बिता पाए | मित्रो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई किसी के लिए नहीं सोचता | बस हर कोई अपनी लाइफ को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश में लगे रहते है |जीवन के हर मोड़ पर एक नया रास्ता हमे नजर आता है | उसी मार्ग से हमे गुजरना होता है,पर कुछ लोग समझ जाते है की रास्ते में कई रुकावट आएगी, पर मुझे अपनी मंजिल तक पहुँच ही जाना है | दोस्तों आज १४ सितम्बर का दिन है यानी की आप सभी जानते है आज विश्व हिंदी दिवस है | मुझे भी पता था जब मैं अपने दोस्तों से आज के विषय की चर्चा करने बैठा | मुझे ऐसा लग रहा था की हिंदी की चर्चा करने से क्या होगा |सब हिंदी जानते है | इसीलिए मैं नहीं चाहता था की आज हिंदी दिवस पर मैं हिंदी के बारे में कोई बात करु | मेरे सभी मित्र एक एक करके कहने लगे की विनोद जी आज इस मुद्दे पर चर्चा करते है | अधिकतर दोस्तों का विषय नशामुक्ति था | लेकिन दूसरे ही पल एक मित्र ने कहा की विनोद जी आज हिंदी दिवस है और नशामुक्ति की चर्चा तो हम अन्य किसी दिन भी कर सकते है | मेने भी अपने सभी दोस्तों को बोल दिया की चलो ठीक है फिर आप सभी कहते हो तो हम आज हिंदी दिवस की ही बात करते है | फिर क्या था शुरू हुई हिंदी दिवस की चर्चा | एक मित्र कहने लगा की विनोद जी हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है | आज हम अधिकतर हिंदी भाषा का उपयोग करके कई तरह के कार्यो को करते है | हम भले अपने घर में किसी अन्य भाषा का उपयोग करते हो पर हमसे मिलने वाले अधिकतर लोगो से हमारी बातचीत हिंदी भाषा में होती है |दोस्तों के कहने पर मेने आज का विषय हिंदी तो रख दिया पर सभी के लिए हिंदी दिवस कब शुरू हुआ ? किसने शुरू किया ?क्यों मनाते है ? कैसे इसका महत्व बढ़ाया जाए |क्यों जरुरी है हिंदी हमारे लिए  इन सभी बिंदुयो पर चर्चा नहीं करनी मेने अपने दोस्तों से ये भी कहा | ये सुनकर सभी दोस्त एक साथ बोलने लगे की विनोद भाई फिर हम हिंदी दिवस की क्या बात करेंगे | मेने अपने सभी दोस्तों को कहा की मैं एक सवाल पूछता हूँ उसका आप जवाब दीजियेगा |सभी कहने लगे ठीक है पूछो क्या पूछना चाहते हो | मेने सभी से कहा की देखो हम सब युवा है,और हम रोज रोज एक मुद्दे पर चर्चा इसलिए करते है की हम अपने समाज को देश को और गांव में जो विकास नहीं हो रहा है वह कर सके | और हम हररोज होने वाली इस चर्चा से बहुत कुछ सीखते भी है | मेरा सवाल ये है की क्या हिंदी हमारे गांव की समस्या हल कर सकती है ? क्या हिंदी हमारे गांव के विकास के लिए कोई कदम उठाने में सहयोगी बन सकती है | कई दोस्त कहने लगे की हिंदी अगर हर कोई व्यक्ति सिख जाए तो विकास संभव है | किसी ने कहा की गांव के लोगो को हिंदी सिखाई जाए तो विकास होगा | जो मुझे कह रहे थे की आज हर कोई हिंदी जानता है | स्कूल में भी हिंदी पढाई जाती है,बच्चे भी हिंदी सीख रहे है |मेने कहा की आप सभी का कहना ठीक है पर हिंदी हमारे गांव का विकास कैसे करेगी ? सब चुप थे हर कोई कुछ न कुछ कहकर बस हिंदी की महिमा करने में लगा था | तभी मुझे लगा की अब वैसे भी समय काफी हो चूका है | ऐसा सोचकर मेने अपने सभी दोस्तों को मेरे सवाल का जवाब दे दिया | मेने कहा दोस्तों हमारे भारत देश के अधिकतर राज्य हिंदी भाषी क्षेत्र है | इन राज्यो में रहने वाले काफी लोग हिंदी जानते है | हिंदी का उपयोग करते है | पर कैसे ये हिंदी मेरे गांव का विकास करे और कैसे समस्या का समाधान करे तो अगर मैं अपनी समस्या के बारे में हिंदी में लिखकर इन सभी राज्यो को भेजू | सभी अधिकारियो को भी कोई एक व्यक्ति अगर हिंदी में उन सभी समस्याओ से अवगत करवाये तो भी तो इन समस्याओ का समाधान हो सकता है |और ये सबकुछ कई जगह पर कुछ युवा और कई जागरूक लोग कर भी रहे है |इस तरह हम अपने गांव का विकास हिंदी के जरिये कर सकते है | वैसे सवाल बहुत साधारण था | लेकिन हमे बहुत कुछ कह रहा है | अंत में बस यही कहना है की हिंदी का उपयोग कर गांव का विकास जरूर करे | हिंदी सबकुछ कर सकती है,आप बस उसका उपयोग करो |

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

प्यार का दूसरा नाम परिवार


प्यार एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में हर कोई व्यक्ति बहुत कुछ सोचता है | बहुत से लोग कहते है की प्यार का होना ही हमारे जीवन का होना माना जाता है | बिना प्यार की जिंदगी कुछ भी नहीं होती जैसे जेब में नॉट नहीं तो कुछ भी नही की तरह | वैसे हर कोई प्यार के बारे में जो सोचता है वो उनके अनुरूप सही है | क्योंकि कोई गलत नही होता और कोई सही नहीं होता,परन्तु बिना हार के जीत भी तो नही होती | जब भी अपने दोस्तों से में किसी मुद्दे पर या किसी विषय पर चर्चा करता हूँ,तो कई तरह के अच्छे और बुरे दोनों विचार मुझे जानने को मिलते है | इस बार जब मैं प्यार के बारे में अपने दोस्तों से चर्चा कर रहा था तो मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा की विनोद जी आज प्यार का मतलब केवल मतलब रह गया है लोग स्वार्थ का प्यार देखते है जहा पैसा वहाँ प्यार जहा पैसा नही वहाँ प्यार भी नहीं | और साथ ही आज के युवा पीढ़ी की तो बात ही अलग हो गई है उन्हें माता पिता का प्यार भाई बहन का प्यार नहीं दिखता केवल और केवल अपनी दोस्त का प्यार दिखता है | वो घर वालो से जितनी बात नही करेगा उससे कही ज्यादा बात अपने एक ही दोस्त से करता है | यह हमारे समाज की संस्कृति नही है | मेने उनसे पूछा की इसमें बदलाव कैसे किया जा सकता है |उन्होंने कहा की हमे आजके बच्चो को संस्कार देने होंगे | मुझे भी लगा की मेरे मित्र सही कह रहे है की आज के समय में हमे हमारे युवा पीढ़ी में जो संस्कार या अच्छे गुण नहीं है उसे डालने की जरुरत है |
एक मित्र ने कहा की विनोद भाई प्यार मोहब्बत की बात करने से क्या होगा | आपको शिक्षा के बारे में बात करनी चाहिए | आज जो शिक्षक छोटी कक्षा में पढ़ाते है वे ज्यादा मेहनत करते है पर उन्हें कम पगार और जो बड़ी कक्षायों को पढ़ाते है पर पढ़ाते बहुत कम और मेहनत भी ज्यादा नही करते उन्हें ज्यादा पगार | ये सिस्टम बदलना चाहिए | मेने उनसे कहा आपके अनुसार अगर ये समस्या है तो इसका समाधान कौन करेगा | उन्होंने कहा हम | मेने पूछा हम से क्या मतलब है आपका? कौनसी उम्र के लोग ? कहने लगे आज के युवा | फिर मेने उन्हें कहा की आज का युवा अधिकतर इन सब मामलो के बजाय स्वार्थ के प्यार में पड़ा हुआ है | और प्यार का सही अर्थ भी नहीं जानता | तो वो कैसे ये सबकुछ बदलेगा | फिर मेने कहा की मैं इसीलिए इस विषय पर चर्चा कर रहा हूँ की आजका युवा सच्चे प्यार को समझे और जो करने की जरुरत है उसे करे |
एक और दोस्त कहने लगा प्यार का कभी अंत नहीं होता | निस्वार्थ भाव का प्यार तो मीरा और राधा का था जिसे आज भी हम जब भी प्यार की बात करते है तो याद करते है | मेने इस दोस्त को पूछा ये बताओ क्या प्यार समाज को बदल सकता है इस दोस्त ने कहा हां जरूर बदल सकता है | मेने पूछा केस बदलेगा प्यार से समाज तो  कहने लगे की खुद से प्यार करके | ये बड़ी सोचने वाली बात लगी मुझे की कोई खुद को प्यार करके कैसे समाज को बदला सकता है | दोस्तों एक बात याद आ रही है आपने भी सुनी होगी की जो बदलाव आप समाज में देखना चाहते है वही बदलाव खुद बन जाइये समाज खुद बदल जायेगा |बस उसी तरह जब हम किसी से प्यार करते है तो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते है | अगर हम अपने आप से प्यार करेंगे तो क्या हम अपने आपको नहीं बदलेंगे | बदलेंगे इसीलिए तो खुद से प्यार करना चाहिए |
प्यार की चर्चा में शामिल एक दोस्त कहने लगे की मेने तो आज तक किसी का प्यार नहीं हाशिल किया क्योंकि प्यार पाने के लिए पैसे की जरुरत होती है और दूसरा मन से प्यार किया जाए | दुनिया में ९०% लोग ऐसे होंगे जो पैसे  के बलभूते अपने प्यार को जिन्दा रखे हुए है बिना पैसे के हम किसी की जरुरत को नहीं पूरा कर सकते  | इसीलिए प्यार को पाने के लिए पैसे की जरुरत होती है १० % लोग ऐसे होंगे शायद जो की बिना पैसे की प्यार करते होंगे |
दोस्तों यहाँ पर अपने विचारो को पूर्ण करना चाहूंगा पर अंत में ये जरूर कहना चाहता हूँ की प्यार का दूसरा नाम परिवार है | जब आप अपने परिवार को समय देते है तो आप प्यार के सही अर्थ को समझने लगते है | आपको आपके पापा का आपके प्रति प्यार देखने को मिलता है | आपकी माँ का प्यार आप समझने लगते है | आपकी प्यारी बहन आपसे जो प्यार करती है | वही प्यार आप उससे करने लगते है | एक भाई अपने भाई से बहुत प्यार करता है पर जब तक वो एक दूसरे से मिलकर नहीं रहेंगे तब तक नहीं पता चलेगा भाई हमसे कितना प्यार करता है | जब आप पढ़ने के लिए हॉस्टल या बहार कही रूम पर रहकर पढाई कर रहे होते है तब आपको घर की परिस्थिति से दूर रखा जाता है लेकिन जब आप घर  जाते है तो बहुत कुछ पता चलता है | खास तौर पर आपके घर की परिस्थिति | तब आपको अहसास होता की मेरा परिवार मुझसे कितना प्रेम करता है | दोस्तों अगर आप भी अपने परिवार से दूर रहते है तो परिवार में रहके देखिये आपको सच्चा और पहला प्यार मिल जायेगा |
जब हम परिवार में जाते है तो परिवार को सुधारने की कोशिश करते है वही कोशिश हर कोई अपने अपने परिवार के लिए करने लगे तो देश सुधर जायेगा | 
उम्मीद करता हूँ आपको ये लेख पसन्द आया होगा | अपने सुझाव जरूर दे |

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

शादी का खर्च

शादी का खर्च 


१.डीजे सिस्टम से लोगो का अधिक पैसा खत्म होता है उसे बंद करना चाहिए |
२.जब दुल्हन को लेने बारात जाती है तो उस समय जब लेनदेन की बात होती है उसमे भी हर जगह अलग अलग लेनदेन हो रहा है जिसे अपने आदिवासी समाज में एक ही किया जाए | 
३.उसमे जो लेनदेन नहीं होना चाहिए वो भी होता है ,इसीलिए जो जरुरी है उसी लेनदेन को किया जाए | 
४.लेनदेन को आदिवासी भाषा में कोमले बेहवु कहते है |
५.लड़की का दापा दिन बी दिन बढ़ता जा रहा है उसे भी लोग कम करना चाहते है | 
दापा का मतलब है - शादी से पहले लड़के पक्ष के लोग लड़की पक्ष के परिवार को तय की हुई रकम अदा करते है जिसे दापा कहते है |

लोकाई में साडी ओढ़ाने की प्रथा


लोकाई में साडी ओढ़ाने की प्रथा

जब किसी पुरुष की मौत हो जाती है तब जब उसका बारमा तेरमा आदिवासी भाषा में (लोकाई ) की जाती है |उसमे जिस पुरुष की मौत हुई है उसकी पत्नी के साथ साथ गाँव की और महिलायो को भी साडी ओढ़ाने की परम्परा है | इसके साथ पुरुष वर्ग के लिए रूमाल लेने होते है | खर्च करीबन एक लोकाई में हजार के करीबन होता है | गाँव के अधिकतर लोग ये चाहते है की ये बंद होना चाहिए | केवल जिस महिला के पति की मौत हुई है उसे ही साड़ी केवल उसके परिवार के लोग ओढ़ाए बाकी के लोग उसके हाथ में अपने अनुसार थोड़ा सा पैसा दे दे ताकि उसके कभी काम में भी आये |

बाल विवाह बदलाव के कुछ बिंदु

बाल विवाह बदलाव के कुछ बिंदु 

१.हमारे समाज में बाल विावह की कमी नहीं हर साल कई बाल विवाह होते है | उसे रोकने वाला कोई नहीं,जो रोकेगा उलटी उसी पर मुसीबत आ जाएगी | इसीलिए इसके लिए कोई भी आगे नहीं आना चाहता | मगर इसके लिए समाज को आगे आने की जरुरत है | समाज खुद तय करे की हम अपने बेटे की शादी जब वो अपने आपको संभालने में सक्षम हो जाये तब और उसकी उम्र जब २१ हो जाये तब करेंगे और बेटी की शादी हम १८ वर्ष पुरे होने पर ही करेंगे |
२. हमारे समाज में कई लड़के और लड़कियां शादी नहीं करते और कुछ समय साथ रहते है जिससे उनका बच्चा भी हो जाता है | उन दोनों की उम्र कम होने से उन दोनों जीवन साथी का शरीर पूरी तरह कमजोर हो जाता है | और साथ ही उनका बच्चा भी कमजोर ही पैदा होता है |
ये घटनाएं घटने की वजह हमारे समाज का माहौल ही है | मुझे लगता है थोड़ा सा बदलाव हो तो हर किसी की जिंदगी संवर जायेगी |
समाज इसके लिए भी अपना खुद का नियम बनाए और उसे अमल में लाने की कोशिश करें |




जीमण प्रथा में बदलाव की जरुरत

जीमण प्रथा में बदलाव की जरुरत 

१.सबसे बड़ी बात ये है की रोटी केवल उन लोगो के लिए बनाई जाए जो मेहमान आते है और गाँव के लोगो के लिए लप्सी बनाई जाये लेकिन वो भी लोगो की मात्रा को देखकर | इसके साथ ही इस जीमण प्रथा में आने वाले मेहमान भी केवल पांच या सात ही हो |ताकि खर्च भी बच सके | साथ ही इस जीमण को सुबह १२ बजे तक समाप्त कर देना चाहिए ताकि बाकि के आधे दिन लोग अपना काम भी कर सकते है |

मौताणा - चढ़ोतरा में बदलाव की जरुरत

मौताणा - चढ़ोतरा में बदलाव की जरुरत 

१.डिलीवरी के समय अगर किसी महिला की मौत हो जाये तो पियर पक्ष ससुराल पक्ष से पैसे की मांग ना करे | कुदरती मौत का जिम्मेदार किसी को भी ठहराना गलत है |
२.जब किसी पुरुष की अचानक मौत हो जाती है और जिसकी जमीन या जिसके खेत में हो उसे जिम्मेदार ठहराना भी गलत है |
३.जब हमारा कोई व्यक्ति किसी के यहाँ मेहमान बनके जाए और उसकी मौत हो जाये तो जहां गया था मेहमान बनकर उनको इसका जिम्मेदार ठहराना गलत है |
४.जब कभी अचानक किसी की गाडी से एक्सीडेंट हो जाये तो जो गाडी वाला है उसे मारने के बजाय गाडी का जो बिमा किया हुआ है वो लिया जाये |
५.केवल किसी को शक के आधार पर उस गाँव के उस जाती समाज के सभी लोगो को परेशान करना कहा का न्याय है |
६.अगर किसी को पता भी चलता है की इस व्यक्ति ने ये गुनाह किया है तो केवल उसे सजा दे समाज क्यों आखिर पुरे गांव को इसके लिए अपना गाँव छोड़कर जाना पड़े |
७.जो व्यक्ति कोई गुनाह करता है तो उसे समाज से बहार किया जाये और साथ में दण्डित भी किया जाये |
८.किसी की मौत हो तो उसकी पूरी जाँच की जाए उसके बाद ही किसी को जिम्मेदार ठहराया जाये |