शनिवार, 30 जनवरी 2016

मौताणा

मौताणा – ये एक आदिवासी समुदाय में चलने वाली परम्परा है | इस परंपरा में लाश के बदले पैसे की मांग की जाती है | जो पूरे उदयपुर संभाग में, खास तौर पर आदिवासी बाहुल्य जिलों-प्रतापगढ़, डूंगरपुर और बांसवाडा में बहुप्रचलित है। दुर्घटना में या अप्राकृतिक परिस्थितियों में मौत हो जाने पर सारी की सारी आदिवासी आबादी 'दोषी' या अपराधी का तब तक घेराव रखती है, जब तक उसके द्वारा नकद मुआवजे और सारे समुदाय के लिए देसी-दारू का इंतजाम नहीं कर दिया जाता | इस प्रक्रिया में दोनों पक्षों की तरफ़ से सौदेबाज़ी आम बात है। कई बार तो 'मौताणा' की रकम तय होने तक शव का अंतिम संस्कार तक नहीं किया जाता, भले इसमें कई कई घंटे लग जाएँ या कई दिन! जुर्माने की रकम कुछ सौ से कुछ लाख तक भी हो सकती है। आदिवासियों की 'जातिगत-पंचायत' ही बहुत बार छोटे-मोटे अपराधों का फैसला करती है और दोषियों पर जुर्माने ठोकती है, पुलिस-कचहरी का नंबर तो बाद में तब आता है, जब मामला जाति-पंचायत के हाथ से निकल जाय |
 
राजस्थान के आदिवासी इलाकों की परंपरा है मौताणा
राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में हर साल सैकड़ों मामलों में मौताणे को लेकर सौदेबाजी सामने आती है। इसमें मृत्यु के लिए जिम्मेदार को मौत का मुवाजा मौताणा देना होता है। मौताणा की कुल राशि का दस फीसदी पंचों में, पच्चीस फीसदी पीड़ित परिवार और बाकी कुटुंब के सभी लोगों में बराबर बांटी जाती है। मौताणा देने के लिए भी देने वाले के परिवार के सभी लोग रकम इकठ्ठा करते हैं। इसमें भी परिवार की नजदीकी के हिसाब से हिस्सा तय होता है। जिस परिवार से मौताणा लिया जाता है, उसे पच्चीस फीसदी देना होता है और बाकी परिजन और रिश्तेदार मिलकर देते हैं।
मौताणा ना देने पर जबरन लेते हैं चढ़ोतरा
मौताणा नहीं देने पर चढ़ोतरा नाजिल किया जाता है। जिसके अनुसार संबंधित परिवारों के घर लूटे जाते हैं और बाद में आग लगा दी जाती है। चढ़ोतरा में केवल परिवार के पुरुषों के साथ ही मारपीट की जाती है। महिला सदस्य और परिवार के बाहर के लोगों के साथ मारपीट नहीं की जाती। इस बारे में फैसले के सारे अधिकार पंचों के पास होते हैं।इस परंपरा में बदलाव के लिए आदिवासी समुदाय को एकजुट होना होगा |युवा पीढ़ी को जागरूक किया जाये तो अच्छा बदलाव आ सकता है |
 
 
 
 
 
 
 
 
 

गुरुवार, 14 जनवरी 2016

आधार कार्ड योजना से परेशान आम जनता

भारत सरकार ने आधार कार्ड की जो योजना निकाली है वह बहुत अच्छी है,इससे हर व्यक्ति को अपनी पहचान मिलेगी चाहे वो छोटा हो या बड़ा | भारत के कई राज्यों में अधिकतर लोगो ने अपने आधार कार्ड बनवाये है |
कई लोग अपना आधार कार्ड अभी भी बनवा रहे है | राजस्थान राज्य के कई जिलो में लोगो ने अभी भी अपना आधार कार्ड नहीं बनवाया,इसकी वजह ये है की वो जहा रहते है वहा इ-मित्र सुविधा तो उपलब्ध है मगर आधार कार्ड मशीन नहीं है | जिनके पास आधार कार्ड नहीं है उन्हें राशन कार्ड पर मिलने वाली वास्तु भी बंद कर डी गई है | इसलिए हर व्यक्ति के लिए आधार कार्ड बनवाना जरुरी हो गया है | लोग अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए पास के किसी शहर में जाते है जहा पर उनसे जो वहा इ-मित्र होते है वो 100 से 150 रूपये की मांग करते है | लोग अपनी खेती छोड़कर समय निकलकर आते है | कई बार तो आधार कार्ड बन जाता है कई बार नहीं भी बन पाता | आधार कार्ड निशुल्क बनता है | ये बात हर कोई नहीं जानता | सरकार ने ये जो योजना निकली है इसके लिए उचित व्यवस्था करनी होगी | सरकार की इस योजना की वजह से आम जनता अधिक परेशान हो रही है |
देश में जिस तरह पढने के लिए सरकारी और निजी स्कूल कोलेज है,इलाज के लिए जेसे सरकारी और निजी अस्पताल है उसी तरह आधार कार्ड के लिए इ-मित्र चल रहे है उन्हें बंद करवाना होगा |
अन्यथा जनता अभी जगी नहीं है जिस दिन जागी उस दिन तूफान आ सकता है |
जागरूक युवा होने के नाते मेरा फर्ज बनता है की मै देश के युवा साथियो को जागरूक सरकार के समस्त अधिकारियो से मेरा निवेदन है की जल्द ही इसके लिए उचित कदम उठाया जाये |
साथियो इस बात को हर अधिकारी और जिन्होंने इस योजना की शुरुआत की उन तक हमारी इस बात को पहुचाना होगा |
हर कोई इसे साझा करे और अन्य लोगो तक पहुचाये |
भारतीय जागरूक युवा संगठन – एक कदम बदलाव की ओर