गुरुवार, 25 अगस्त 2016

शिक्षको की कमी को नहीं किया पूरा


24  जुलाई 2016

राजस्थान संपर्क समाधान में आदिवासी जागरूक युवा संगठन कोटड़ा से (विनोद) ने उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील की समस्त स्कूलों में शिक्षको के रिक्त स्थान भरने के लिए शिकायत दर्ज की थी  |

25 जुलाई 2016 

#अतिरिक्त #निदेशक #माध्यमिक #शिक्षा #राजस्थान #बीकानेर  ने जवाब दिया की (#विध्यालय में #रिक्त #पदों पर #अध्यापक लगाने का कार्य #डीपीसी एवं #राजस्थान #लोक #सेवा #आयोग से #चयनित आशार्थी उपलब्ध होने के बाद ही कार्यवाही की जानी संभव होगी. अतः #फिलहाल #प्रकरण का #निस्तारण करावे.)

#डीपीसी में #कॉल करके  (अशोक गुप्ता, पद - Sr.DS- Gr-2  ( 9509428649 )  इस नम्बर पर बात की  तो उन्होंने कहा की #राजथान में हर जगह सभी #विषयो के #शिक्षक लगा दिए जायेंगे | केवल 5 % बाकि रहेंगे वो केवल #अंग्रेजी के बाकि सभी जगह #एक #महीने में लग जाएंगे |

25 अगस्त 2016 

आज एक महीना पूरा हो गया है पर कोटड़ा क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षको के रिक्तो स्थानों को भरा नहीं गया |अब आदिवासी जागरूक युवा संगठन कोटड़ा शुरू करेगा  

                                       "पत्र अभियान"

जिसके तहत हर अधिकारी तक पहुँचाये जायेंगे प्रार्थना पत्र |

29 अगस्त 2016  को कोटड़ा क्षेत्र के उपखंड अधिकारी को दिए जायेंगे 10-20 स्कूलों द्वारा स्कूलों में शिक्षको की मांग पूरी करवाने का पत्र |

ये दौर तबतक चलेगा जबतक इस समस्या का समाधान हो न जाये |  अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते है  9680476008

बुधवार, 17 अगस्त 2016


मुझे गर्व है कि मैं आदिवासी हूँ - संध्या कुमारी


                             मुझे गर्व है कि मैं आदिवासी हूँ

 " प्रकृति पूजक संस्कृति रक्षक आदि आनादिकाल वासी आदिवासी मूल वासी "

                                                        मैं आदिवासी समाज से प्रेम करती हूँ,मुझे गर्व है कि मैं आदिवासी हूँ | मेरे आदिवासी समाज की संस्कृति अन्य समाजो से बिलकुल अलग है | और आदिवासी समाज की संस्कृति से अन्य समाजों ने कई रीती रिवाजों को अपनाया भी है |हर समाज का इतिहास प्राचीन होता है,और हर व्यक्ति को अपने समाज से प्रेम होता है |मुझे भी अपने आदिवासी समाज से लगाव है |पर जब मैं यह सब कुछ नहीं जानती थी, कि आदिवासी समाज क्या होता है ? तब कुछ भी नही समझती थी और मुझे खुद को या किसी ओर आदिवासी समाज के व्यक्ति को कोई आदिवासी कहता तो मुझे बुरा लगता था |

" भारत में सिर्फ आदिवासी है एक ऐसा समुदाय जो प्रकृतिमूलक है, जिस की जीवन प्रणाली बोली   परम्परा रिती-रिवाज ,पहनावा,संगीत-वाद्य, ज्ञान -कला संस्कृति व्यवहार आज भी सब से अलग है "

आज जब मैंने ये जाना की आदिवासी समुदाय इस धरा पर सबसे पहले से निवास कर रहा है |जब कोई भी नहीं था और अगर सबसे पुराना और प्राचीन समाज कोई है तो वो है आदिवासी समाज |आदिवासी समाज जितना पुराना है उतनी ही पुरानी इस समाज की संस्कृति है | जो की आज भी मेरे आदिवासी समाज में मुझे देखने को मिलती है | इतना ही नहीं बल्कि आज का युग जो की कई क्रांतियों से भरा पड़ा है,जैसे वैज्ञानिक क्रांति,श्वेत क्रांति,हरित क्रांति आदि | इसके बावजूद भी मेरा आदिवासी समाज हर रिवाज को पूरी तन्मयता के साथ निभाता आ रहा है |

 " हजारो-हजार साल का जिन्दा इतिहास हु में,मुझे आदिवासी कहते है,
 जैव विविधता को अपने में समेटे | कहते है मैं हजारो हजार साल एक साथ जीता हु,
आज मेरे बच्चे हजार साल पुरानी संस्कृति भी जीते है तो आज की आधुनिक संस्कृति भी "

मुझे गर्व है की मैं आदिवासी हूँ,क्योंकि मेरा आदिवासी समाज कभी किसी का गुलाम नहीं हुआ |मेरे समाज ने ही तो जो राजपूत क्षत्रिय थे उन्हें अपने क्षेत्र में पनाह दी,और उनकी उनके शत्रुयो से रक्षा की थी | आज भी अगर किसी कार्य को करना होता है तो सबसे पहले आदिवासी समुदाय को याद किया जाता है | हमारे भारत देश के कई कार्य जिसमे मकान बनाना,हमारे शहरो में बनने वाले कई तरह के भवनों के कार्य,खेती करने वाले लोग भी मेरे आदिवासी समाज के है |मेरे आदिवासी समाज के कई महान पुरुषो ने भारत की आज़ादी के लिए भी अपना योगदान दिया है लेकिन कही किताबो में मुझे उनके विषय में ज्यादा पढ़ने को नहीं मिला |मैं यहाँ दो उदाहरण देना चाहूंगी १.बांसवाड़ा के मानगढ धाम की घटना और २.सिरोही के भुला में लिलुडी बड़ली की घटना मुझे मेरे आदिवासी समाज के योगदान की याद दिलाता है |मैं इस बात से हमेशा खुश रहती हूँ की कुदरत ने मुझे आदिवासी समाज में जन्म दिया |

" मुझे गर्व है कि मैं आदिवासी हूँ क्योंकि मैं इस धरती कि मूलवासी हूँ,मेरी अपनी संस्कृति है ,
 मेरी अपनी भाषा है हम किसी पर आश्रित नहीं है ,हमारा अपना वजूद है
आदिवासी न तो आस्तिक है, न तो नास्तिक है ,आदिवासी वास्तविक है "

एक बात जो मेरे मन के भीतर है वह यह कि मेरी तरह मेरे समाज के और भी कई युवा साथी जो कि अपने आपको आदिवासी कहने में शर्म महसूस करते है, वो इसीलिए क्योंकि वो आदिवासी का सही अर्थ एवम उसका अपना महत्व नहीं जानता |जब आज मैं आदिवासी होने पर गर्व कर रही हूँ तो मुझे आशा है कि मेरे आदिवासी समाज का हर व्यक्ति अपने आप पर गर्व करके कहेगा कि मैं आदिवासी हूँ |और मुझे भी इस बात पर गर्व है कि मैं आदिवासी हूँ |

                                      '' चलती रहूंगी मैं पथ पर चलने मे माहिर बन जाऊँगी ,
                             मेरी अस्मिता को उजागर करुँगी मेरी संस्कृति का एक अंग बनूँगी "

विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम आये विद्यार्थी का निबंध
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मामेर
कोटड़ा तहसील, जिला उदयपुर, राजस्थान
नाम - संध्या कुमारी
कक्षा - 12th
विषय -  मुझे गर्व है कि मैं आदिवासी हूँ     

शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन

रेडियो मधुबन 90.4 FM एंव आदिवासी जागरूक युवा संगठन कोटडा़ ने विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष में निबंध प्रतियोगिता

का आयोजन किया। विश्व आदिवासी दिवस आने वाली 9 अगस्त को हे।
ये दिन सयुक्तं राष्ट्र सघं द्वारा घोषित दिन हे जिसकी जानकारी स्वम आदिवासी समुदाय के लोगों को और स्कूल  में  पढने वाले बच्चो को नही थी। इस प्रतियोगिता के जरिये वो अपने आदिवासी दिन को जानने के साथ अपने आदिवासी होने पर गर्व करे इस उद्देश्य से रखी इस प्रतियोगिता का सफल आयोजन हुआ।
निबंध लेखन प्रतियोगिता में कोटडा तहसील की कुल 20 स्कूल के 250 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
ये निबंध प्रतियोगिता स्कूल द्वारा स्कूल मे ही आयोजित की गई थी।
आज मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस                   
स्थान - राजकीय महाविद्यालय कोटडा ( उदयपुर )राजस्थान विश्व आदिवासी दिवस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में चुने टोप 10 और तीन प्रथम,द्वितीय और तृतीय क्रम पर रहे विद्यार्थियों को किया सम्मानित
प्रथम - संध्या कुमारी – XII ( राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय मामेर)                   
द्वितीय- ललीता तराल - XI (राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विदयालय कोटडा)
तृतीय -लालूराम पारगी - XI (राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय महाद )

टोप टेन की सुची                
१.लालूराम पारगी (X) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय मामेर                 
२.जमना कुमारी (XII) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय महाद                
 ३. रेखा कुमारी (XII) राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विदयालय कोटडा
४.बंशीलाल गमार (XII) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय महाडी             
 ५.रमेश कुमार (XI) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय बडली               
६. ललीता कुमारी (XII) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय महाद.                
७.रायचंद (XI) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय महाद                
८.लीला कुमारी (XII) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय महाडी              
९.चंदनलाल गमार (XII) राजकीय उच्च माध्यमिक विदयालय महाडी             
 १०.सुनीता ग्रासिया (XI) राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विदयालय कोटडा

कार्यक्रम के अतिथी रहे के.एल डिंडोर जी (प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय कोटडा)