रविवार, 2 अगस्त 2015

एक प्रेरणा - नवली कुमारी

जीवन की कई तरह की परेशानियों से झूझते हुए,
अपने माता पिता को खोने का  दुःख भी ,
दुःख हुआ पर इतना नहीं की वो दुःख उसे तोड़ पाता,
उसके दुःख ने ही उसे आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया,
उसकी तो पढाई,छूट गई पर किसी और की न छूटे ये तमन्ना 
उसकी इसी तम्मना ने उसे बहुत आगे तक पहुचाया 
गाव के लोग भी उससे खुश हुए,
सबकी चाहत हुई उसे अपना जनप्रतिनिधि बनाने की,
देर नहीं की लोगो ने और उसे अपना वार्डपंच बना ही दिया 
वार्डपंच तो नवली बन गई,
पर उसे न कुछ ज्ञान था राजनीति का,
तभी एक अलख जगी जनचेतना की,
उसी से जाना विकास और गाव के काम,
लग गई अपने गाव को बेहतर बनाने में,
काम ऐसा किया की मिसाल बन गई,
मिला सुनहरा मौका उसको विदेश जाने का,
विदेश गई तो अपनी जैसी महिलाओ को जागरूक कर आई ,
देखा उसने वो वहां जो उसे यहाँ करने की ठानी,
आई विदेश से तो  हुए उसके गाव के खुश लोग,
आकर उसने काम वो किया,
शिक्षा में अलख जगाई,
जो नहीं भेजते थे अपने बच्चो को स्कूल,
उन्हें समझाया उन्हें योजनाये बताई,
फिर भी जो न भेजे उसका राशन पानी बंद करवाया,
क्या बताऊ उसके बारे में ,है वो ऐसी नवली 
कहती है शादी नहीं करुँगी,
जब तक न हो समाज में बदलाव,
जरुरत है ऐसे युवाओ की इस समाज को,
जो बदले समाज,जो बदले समाज  

नवली की एक झलक

नवली कुमारी गरासिया मूलत राजस्थान राज्य सिरोही जिले की आबूरोड तहसील की पंचायत क्यारियाँ के रेडवा कला गाव की निवासी है ! जिसकी उम्र वर्तमान में २५ है ! नवली कुमारी आदिवासी परिवार से है जो की रेडवाकला पहाड़ी क्षेत्र में है ! नवली के परिवार मेँ उसके ९ बहने और दो भाई थे ! उनकी माता की भी मृत्यु उनके पिता के कुछ समय बाद ही हो गई ! घर मेँ नवें नम्बर के होने से उनका नाम नवली रखा गया ! पापा बीएसएनएल विभाग मेँ कार्य करते थे ! इस वजह से वे बहार रहते थे ! नवली ने अपनी १२वीं तक की पढाई आबूरोड की अर्बुद स्कूल से की ! इसी बीच उनके पापा की मृत्यु होने से नवली की आगे की पढाई नहीं हो पाई ! घर की परिस्थिति सही न होने से पहले वो आबूरोड शहर में रहती थी वहाँ से अपने गाव में आ गई !
गाव में आई तो उसने देखा की गाव में जो स्कूल है वहां पर बच्चे पढ़ने में रूचि नहीं ले रहे,और उनके माता पिता भी ध्यान नहीं दे रहे है ! उसे लगने लगा की क्यों न में अपनी पढाई का उपयोग इन बच्चो के लिए करू ! पर उसे ये नहीं समझ आ रहा था की वो कैसे कुछ करे ! उसे अपने गाव के अंदर बहुत सी समस्याएं और भी नजर आने लगी जैसे पानी की कमी,बिजली,रास्ते आदि ! उसे ये तो लगता था की इसके लिए कुछ करना चाहिए पर कैसे ये सबसे बड़ा सवाल था ! उन्ही दिनों गर्ल्स एजुकेशन ऑर्गेनाइजेशन के कार्यकर्ता उनके गाव में लड़कियों की शिक्षा के लिए सर्व कर रहे थे और वे खोज कर रहे थे की कही कोई शिक्षित लड़की मिले जो मुझे इस काम में मदद करे ! नवली को रास्ता चाहिए था की कैसे वो गाव की लड़कियों के लिए पढाई के लिए कुछ कदम उठाये ! रास्ता मिलते ही नवली ने अपनी कमान को तेज कर दिया ! जब वो लड़कियों के माता पिता को समझाने के लिए जाती तो उसे कही जगह गालिया और डांट भी खाने को मिली ! पर नवली ने हिम्मत नहीं हारी और ४६ के आसपास लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा और २ के बाल विवाह भी रुकवाये !
नवली अपने गाव के लिए अपने स्तर पर तो काम कर ही रही थी, लेकिन उसे लगा की अगर मेरे पास पावर होगा अर्थात सत्ता होगी तो शायद लोग मेरी बात को जरूर मानेगे ! उन दिनों २०१० में चुनाव का माहोल चल रहा था ! तभी नवली वार्डपंच के चुनाव के लिए लड़ी और विजेता भी बनी ! सच तो ये है की इस गाव के लोग ही चाहते थे की नवली गाव की वार्डपंच बने ! जैसे ही नवली गाव के अपने वार्ड की वार्डपंच बनी तो उसने गाव की महिलाओ को पानी की ज्यादा समस्या थी उसके लिए हेडपम्प जो ख़राब थे उसे सही करवाया और पानी की सही व्यवस्था की ताकि जिन महिलाओ को बहुत ही ज्यादा दुरी से पानी लाना पड़ता था उन्हें राहत मिली ! गाव की सड़क को सही करवाया और खास तौर पर स्कूल के बच्चो के लिए बहुत ही सराहनीय कदम उठाया ! जो स्कूल गाव मेँ बंद था उसे शुरू करवाया ! जो स्कूल ५ वी तक था उसे ८ वी तक करवाया !
नवली ने बताया की " मै जब वार्डपंच बनीं तो मुझे नहीं पता था की मै कैसे ये सब करूंगी ! पर स्थानीय जनचेतना संस्थान से मुझे और साथ मेँ और भी लोगो को ट्रेनिंग दी ! की किस तरह आप गाव मेँ काम कर सकते है और अपने गाव का विकास कर सकते है ! मुझे वहीं से बहुत कुछ सिखने को मिला और इस तरह मेने अपने गाव के लिए बहुत ही अच्छा काम किया ! "
नवली ने अपने काम को बड़ी ही सीदत और ईमानदारी के साथ निभाया ! और नवली के इस काम को देखकर स्थानीय जनचेतना संस्थान ने उन्हें विदेश जाने का एक सुनहरा मौका प्रदान किया ! नवली को ऑस्ट्रेलिया जाने का जो मौका मिला उसका नवली ने भरपूर लाभ दिया ! नवली ने वहां भी जिस तरह शिक्षा की बात अपने गाव मेँ करती थी वो भी की ! नवली को वहां से जानने को मिला की वहां महिलाओ को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है ! उन्हें वहां 33 % आरक्षण  दिया हुआ है और राजस्थान मेँ ५०%  ! नवली का कहना है की वहां की महिलाओ ने उन्हें कहा की आप इतनी कम उम्र मेँ इतने आगे बढ़ गए हम भी बढ़ना चाहते है ! नवली को ये सुनकर बढ़ा अजीब तो लगा पर ये ही सच था ! और नवलीं ने वहां महिला कैसे आगे बढ़ सकती है इसके लिए बहुत अच्छा अपना स्वम् का उदहारण प्रस्तुत किया !
नवली जब भारत आई तो उसे यहाँ और वहां मेँ काफी अंतर लगा ! वहां की साफ सफाई अलग ही थी ! वहां पहाड़ी एरिया होते हुए भी बिजली थी ! और उसे लगा की अभी भी हमारे गाव मेँ बिजली नहीं है ! उसने देखा की उनके पहाड़ी एरिया जहा नल की व्यवस्था नहीं हो सकती वहां भी नल की अच्छी वयवस्था थी ! और नवली ने चाहा की मेँ अपने गाव को भी बदलूंगी !
जिन बच्चो के माता पिता बच्चो को पढ़ने नहीं भेजते थे उनका राशन का सामान बंद करवाने की हिदायत देकर उन्हें अपने बच्चे को पढ़ने भजने के लिए प्रेरित किया ! लोगो को शिक्षा की योजना की सही जानकारी दी ! लोग कहते की मेरे घर का काम कौन करेगा उन्हें समझाया ! और उन्हें विश्वास दिलाया की आपका बच्चा पढ़ेगा तो वो सुखी जी पायेगा ! तब जाकर उन्होंने उन्हें भेजना शुरू किया !
नवली कहती है " जब तक मेँ अपने समाज को आगे न बढ़ाऊ तब तक शादी नही करुँगी ! " जैसे हर लड़की को ये लगता है की उसका खुद का एक परिवार हो,उसके बच्चे होंगे,और वो अपने जीवन साथी के साथ ख़ुशी से रहे ! पर नवली का अभी ऐसा कोई इरादा नहीं है ! वो खुद भी आगे बढ़ना चाहती है और अपने समाज को भी आगे ले जाना चाहती है !
नवली एक छोटे से गाव से जरूर है पर वो आदिवासी समुदाय के लिए एक प्रेरणा है,अगर नवली जैसी और भी बालिकाये इस समुदाय मेँ जन्म ले तो शायद  भारत देश का नक्शा बदल सकता है !