सोमवार, 16 नवंबर 2015

एकबकीओ

भारतीय आदिवासी समुदाय मे जो आदिवासी लोगो का इतिहास मिटाया गया है.ओर साथ ही साथ इस समाज मे चलने वाली कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाया जाए ओर आदिवासी अपना अधिकार प्राप्त करे. अपनी भारतीय परम्परा को इसी तरह बनाए रखे इसलिए इस समूह को बनाया गया है आप सभी भाई बहनो से निवेदन है की आप हमारे इस आदिवासी समुदाय की पहचान को बनाए रखने मे पूरा सहयोग करेंगे !

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

सरकारे आलियो पेसा कानून

सरकारे आलियो पेसा कानून -२
पेसा कानून मा शांति समिति -2
सरकारे आलियो पेसा कानून -२
पेसा कानून ग्रामसभा बनावे - २
शांति समिति ग्रामसभा बनावे -२
शांति समिति दूर करे कुटाला -२
दूर करे कुटाला ने शांति समिति बनावे - २
थोने जवानी जरूर नीही -२
शांति समिति हारू कोम करे है -२
हारू कोम करे है ने शांति बनावे -२
भूलमा थोने कोई जाये तो -२ 
शांति समिति ये रिपोट आले -2
होप्लो गोम वाला मनख -2
शांति समति हव बनी गेई -2
थोने मो जाजो गोमे वाला मनख - २
थोने जाओ होतो लूटी लेहे -२
शांति समिति दूर करे कुटाला -२
दूर करे कुटाला ने शांति समिति बनावे - २
सरकारे आलियो पेसा कानून -२
पेसा कानून मा शांति समिति - २

रविवार, 2 अगस्त 2015

एक प्रेरणा - नवली कुमारी

जीवन की कई तरह की परेशानियों से झूझते हुए,
अपने माता पिता को खोने का  दुःख भी ,
दुःख हुआ पर इतना नहीं की वो दुःख उसे तोड़ पाता,
उसके दुःख ने ही उसे आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया,
उसकी तो पढाई,छूट गई पर किसी और की न छूटे ये तमन्ना 
उसकी इसी तम्मना ने उसे बहुत आगे तक पहुचाया 
गाव के लोग भी उससे खुश हुए,
सबकी चाहत हुई उसे अपना जनप्रतिनिधि बनाने की,
देर नहीं की लोगो ने और उसे अपना वार्डपंच बना ही दिया 
वार्डपंच तो नवली बन गई,
पर उसे न कुछ ज्ञान था राजनीति का,
तभी एक अलख जगी जनचेतना की,
उसी से जाना विकास और गाव के काम,
लग गई अपने गाव को बेहतर बनाने में,
काम ऐसा किया की मिसाल बन गई,
मिला सुनहरा मौका उसको विदेश जाने का,
विदेश गई तो अपनी जैसी महिलाओ को जागरूक कर आई ,
देखा उसने वो वहां जो उसे यहाँ करने की ठानी,
आई विदेश से तो  हुए उसके गाव के खुश लोग,
आकर उसने काम वो किया,
शिक्षा में अलख जगाई,
जो नहीं भेजते थे अपने बच्चो को स्कूल,
उन्हें समझाया उन्हें योजनाये बताई,
फिर भी जो न भेजे उसका राशन पानी बंद करवाया,
क्या बताऊ उसके बारे में ,है वो ऐसी नवली 
कहती है शादी नहीं करुँगी,
जब तक न हो समाज में बदलाव,
जरुरत है ऐसे युवाओ की इस समाज को,
जो बदले समाज,जो बदले समाज  

नवली की एक झलक

नवली कुमारी गरासिया मूलत राजस्थान राज्य सिरोही जिले की आबूरोड तहसील की पंचायत क्यारियाँ के रेडवा कला गाव की निवासी है ! जिसकी उम्र वर्तमान में २५ है ! नवली कुमारी आदिवासी परिवार से है जो की रेडवाकला पहाड़ी क्षेत्र में है ! नवली के परिवार मेँ उसके ९ बहने और दो भाई थे ! उनकी माता की भी मृत्यु उनके पिता के कुछ समय बाद ही हो गई ! घर मेँ नवें नम्बर के होने से उनका नाम नवली रखा गया ! पापा बीएसएनएल विभाग मेँ कार्य करते थे ! इस वजह से वे बहार रहते थे ! नवली ने अपनी १२वीं तक की पढाई आबूरोड की अर्बुद स्कूल से की ! इसी बीच उनके पापा की मृत्यु होने से नवली की आगे की पढाई नहीं हो पाई ! घर की परिस्थिति सही न होने से पहले वो आबूरोड शहर में रहती थी वहाँ से अपने गाव में आ गई !
गाव में आई तो उसने देखा की गाव में जो स्कूल है वहां पर बच्चे पढ़ने में रूचि नहीं ले रहे,और उनके माता पिता भी ध्यान नहीं दे रहे है ! उसे लगने लगा की क्यों न में अपनी पढाई का उपयोग इन बच्चो के लिए करू ! पर उसे ये नहीं समझ आ रहा था की वो कैसे कुछ करे ! उसे अपने गाव के अंदर बहुत सी समस्याएं और भी नजर आने लगी जैसे पानी की कमी,बिजली,रास्ते आदि ! उसे ये तो लगता था की इसके लिए कुछ करना चाहिए पर कैसे ये सबसे बड़ा सवाल था ! उन्ही दिनों गर्ल्स एजुकेशन ऑर्गेनाइजेशन के कार्यकर्ता उनके गाव में लड़कियों की शिक्षा के लिए सर्व कर रहे थे और वे खोज कर रहे थे की कही कोई शिक्षित लड़की मिले जो मुझे इस काम में मदद करे ! नवली को रास्ता चाहिए था की कैसे वो गाव की लड़कियों के लिए पढाई के लिए कुछ कदम उठाये ! रास्ता मिलते ही नवली ने अपनी कमान को तेज कर दिया ! जब वो लड़कियों के माता पिता को समझाने के लिए जाती तो उसे कही जगह गालिया और डांट भी खाने को मिली ! पर नवली ने हिम्मत नहीं हारी और ४६ के आसपास लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा और २ के बाल विवाह भी रुकवाये !
नवली अपने गाव के लिए अपने स्तर पर तो काम कर ही रही थी, लेकिन उसे लगा की अगर मेरे पास पावर होगा अर्थात सत्ता होगी तो शायद लोग मेरी बात को जरूर मानेगे ! उन दिनों २०१० में चुनाव का माहोल चल रहा था ! तभी नवली वार्डपंच के चुनाव के लिए लड़ी और विजेता भी बनी ! सच तो ये है की इस गाव के लोग ही चाहते थे की नवली गाव की वार्डपंच बने ! जैसे ही नवली गाव के अपने वार्ड की वार्डपंच बनी तो उसने गाव की महिलाओ को पानी की ज्यादा समस्या थी उसके लिए हेडपम्प जो ख़राब थे उसे सही करवाया और पानी की सही व्यवस्था की ताकि जिन महिलाओ को बहुत ही ज्यादा दुरी से पानी लाना पड़ता था उन्हें राहत मिली ! गाव की सड़क को सही करवाया और खास तौर पर स्कूल के बच्चो के लिए बहुत ही सराहनीय कदम उठाया ! जो स्कूल गाव मेँ बंद था उसे शुरू करवाया ! जो स्कूल ५ वी तक था उसे ८ वी तक करवाया !
नवली ने बताया की " मै जब वार्डपंच बनीं तो मुझे नहीं पता था की मै कैसे ये सब करूंगी ! पर स्थानीय जनचेतना संस्थान से मुझे और साथ मेँ और भी लोगो को ट्रेनिंग दी ! की किस तरह आप गाव मेँ काम कर सकते है और अपने गाव का विकास कर सकते है ! मुझे वहीं से बहुत कुछ सिखने को मिला और इस तरह मेने अपने गाव के लिए बहुत ही अच्छा काम किया ! "
नवली ने अपने काम को बड़ी ही सीदत और ईमानदारी के साथ निभाया ! और नवली के इस काम को देखकर स्थानीय जनचेतना संस्थान ने उन्हें विदेश जाने का एक सुनहरा मौका प्रदान किया ! नवली को ऑस्ट्रेलिया जाने का जो मौका मिला उसका नवली ने भरपूर लाभ दिया ! नवली ने वहां भी जिस तरह शिक्षा की बात अपने गाव मेँ करती थी वो भी की ! नवली को वहां से जानने को मिला की वहां महिलाओ को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है ! उन्हें वहां 33 % आरक्षण  दिया हुआ है और राजस्थान मेँ ५०%  ! नवली का कहना है की वहां की महिलाओ ने उन्हें कहा की आप इतनी कम उम्र मेँ इतने आगे बढ़ गए हम भी बढ़ना चाहते है ! नवली को ये सुनकर बढ़ा अजीब तो लगा पर ये ही सच था ! और नवलीं ने वहां महिला कैसे आगे बढ़ सकती है इसके लिए बहुत अच्छा अपना स्वम् का उदहारण प्रस्तुत किया !
नवली जब भारत आई तो उसे यहाँ और वहां मेँ काफी अंतर लगा ! वहां की साफ सफाई अलग ही थी ! वहां पहाड़ी एरिया होते हुए भी बिजली थी ! और उसे लगा की अभी भी हमारे गाव मेँ बिजली नहीं है ! उसने देखा की उनके पहाड़ी एरिया जहा नल की व्यवस्था नहीं हो सकती वहां भी नल की अच्छी वयवस्था थी ! और नवली ने चाहा की मेँ अपने गाव को भी बदलूंगी !
जिन बच्चो के माता पिता बच्चो को पढ़ने नहीं भेजते थे उनका राशन का सामान बंद करवाने की हिदायत देकर उन्हें अपने बच्चे को पढ़ने भजने के लिए प्रेरित किया ! लोगो को शिक्षा की योजना की सही जानकारी दी ! लोग कहते की मेरे घर का काम कौन करेगा उन्हें समझाया ! और उन्हें विश्वास दिलाया की आपका बच्चा पढ़ेगा तो वो सुखी जी पायेगा ! तब जाकर उन्होंने उन्हें भेजना शुरू किया !
नवली कहती है " जब तक मेँ अपने समाज को आगे न बढ़ाऊ तब तक शादी नही करुँगी ! " जैसे हर लड़की को ये लगता है की उसका खुद का एक परिवार हो,उसके बच्चे होंगे,और वो अपने जीवन साथी के साथ ख़ुशी से रहे ! पर नवली का अभी ऐसा कोई इरादा नहीं है ! वो खुद भी आगे बढ़ना चाहती है और अपने समाज को भी आगे ले जाना चाहती है !
नवली एक छोटे से गाव से जरूर है पर वो आदिवासी समुदाय के लिए एक प्रेरणा है,अगर नवली जैसी और भी बालिकाये इस समुदाय मेँ जन्म ले तो शायद  भारत देश का नक्शा बदल सकता है !

शनिवार, 27 जून 2015

एक कदम जागरूकता की और

आदिवासी लोगो को सविधान ने पुरे देश में १२% आरक्षण दिया हुआ है ! और इस आधार पर राजस्थान के 5 जिलों में बांसवाडा व डूंगरपुर सम्पूर्ण जिले, उदयपुर की सात पूर्ण तहसीलें, एवं तहसील गिर्वा के 123(अधिसूचना के पश्‍चात अनुसूचित क्षेत्र में सम्मिलित कुछ मूल ग्रामों से वर्ष 1991-2001 एवं वर्ष 2001-2011 के बीच टूटकर बने नवीन राजस्‍व ग्रामों सहित ) गांव व तहसील गोगुन्दा के 52 गाम तथा प्रतापगढ जिले की प्रतापगढ, अरनोद, धरियावद व पीपलखूंट तहसीलें तथा सिरोही जिले की आबूरोड पंचायत समिति सम्मिलित है। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है जिनको 45% आरक्षण मिला हुआ है ! लेकिन जो आरक्षण मिला हुआ है,वह भी आदिवासी लोगो को नहीं मिल पा रहा है ! क्योंकि इन्हे नहीं दिया जा रहा है ! आदिवासी लोग अपने अधिकारों को समझे और उनका उपयोग करे इसके लिए बहुत सी संस्थाए कार्यरत है ! किन्तु जो समझ आदिवासी को अपने लिए होनी चाहिए वो समझ उनमे ये संस्थाए नहीं ला पाई !
विकास के नाम पर बहुत से पैसे खर्च किये जा रहे है मगर परिणाम कुछ भी नहीं ! लेकिन अब आदिवासी समाज के कुछ लोग जागरूक हो चुके है ! और वह और लोगो को भी जागरूक करने के लिए अपनी और से होने वाले हर प्रयास को कर रहे है !
उदयपुर जिले के कोटड़ा तहसील में आदिवासी भाई बंधुओ की 5-7-15  को एक बहुत ही बड़ी आमसभा आयोजित होने जा रही है !
जिसमे खास तौर पर निम्न बिन्दुओ पर चर्चा होगी और लोगो को जानकारी दी जाएगी !
१.आरक्षण (टीएसपी क्षेत्र) !
२.शिक्षा !
३.रिटायर कर्मचारियों को नौकरी न देने के विषय में !
४.विभ्भिन सरकारी योजनाये !
५.सामाजिक कुप्रथाओ के विषय में !
इन सभी बिन्दुओ में से आरक्षण वर्तमान का बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है,इसलिए इस विषय पर लोगो को बहुत ही ज्यादा जागरूक करने की जरुरत है !
इस सभा को सफल बनाने के लिए 23-6-15 को एक साधारण बैठक कोटड़ा के विज्या आप्टे परिसर के महादेव मंदिर पर आयोजित हुई थी ! जिसमे  स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता हीरालाल डाभी,दैनिक नवज्योति रिपोर्टर सुरेन्द्र खराड़ी और जागरूक युवा विनोद,निर्मल कुमार,दलपत सिह,संपत कुमार,हरियाराम,शंकर लाल आदि उपस्थित थे !
इस पहली बैठक में ये तय किया गया की हमारे अपने आदिवासी समाज के विकास के लिए कौन से मुद्दो को लेकर जागरूकता की जरुरत है !
आरक्षण की मांग को लेकर कोटड़ा में आयोजित होने वाली आम सभा में मुख्य अथिति कोटड़ा प्रधान मुरारीलाल बुम्बारिया,झाड़ोल विधायक हीरालाल,विशेष अथिति आदिवासी संघ जिला अध्यक्ष धनराज आहरी प्रदेश अध्यक्ष भूपत सिह मीणा और साथ ही सामजिक कार्यकर्ता पूर्व पंचायत समिति सदस्य चम्पादेवी,नन्दलाल मीणा,सोहनलाल सांगया आदि उपस्थित रहेंगे !

हमे भी जगना होगा


हमे जागना होगा,हमे जागना होगा,
हर जगह आदिवासी जाग गए ,
बस हम ही सोये है,
हमे भी अब जागना होगा. हमे भी अब जागना होगा,
अपने अधिकार के लिए,
अपने सम्मान के लिए,
अपनी पहचान के लिए,
अपने समाज के लिए,
अपने भाई बंधुओ के लिए,
और खास तो स्वम् अपने लिए.
हमे जागना होगा हमे जागना होगा,
हर कोई अपनेअधिकार की बात करता है,
हर कोई अपने सम्मान की बात करता है ,
अब चुप नहीं बैठना होगा,अब हमे भी जागना होगा,
हमे जागना होगा,हमे जागना होगा
आज नहीं जगे तो कभी नहीं जागेंगे,
इसलिए आज ही जागना होगा !
आदिवासी विनोद कुमार

मंगलवार, 31 मार्च 2015

आधार कार्ड

आधार कार्ड क्या है ?

आधार कार्ड भारतीय सरकार द्वारा दिया गया ऐसा पचान पत्र है जिसमे 12 अंकों का विशेष नंबर दिया जाता है। जिसमे आपसे जुडी हुई अधिकाँश बातें एक ही कार्ड के जरिये मिल सकती है। जिसमे आपका नाम, पता, उम्र, जन्म दिनांक, बैंक कि जानकारी, कोड, पैन नंबर कि जानकारी के साथ साथ आपकी उँगलियों कि निशानी, आपकी फोटो और आखों कि स्कैनिंग भी कि जाती है। जिससे आधार कार्ड आपके लिए एक खास पहचानपत्र बन जाता है।
आधार कार्ड का इस्तमाल अलग अलग तरह कि रियायतों के लिए होती है। आधार कार्ड का इस्तमाल बैंक में और भी हर वो जगह जहां आपको आपका पहचान पत्र देना होता है वहां आधार कार्ड लगा सकतें है। पहले आपको नाम उम्र और पते के लिए अलग अलग प्रमाणपत्र देना होता था। लेकिन आधार कार्ड के आने से यह एक हि पत्र आप सभी कार्यों में लगा सकतें है।
यह भारत का विशेष आइडेंटिटी कार्ड है जिसमे सरकार द्वारा आपका नाम ढूंढते हि आपके बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल सकेंगी। साथ ही कोई और आपका जाली आधार नहीं बना सकता क्यूंकि आधार कार्ड पर आपके आँखों का स्कैन और उँगलियों कि निशानी होती है, और साथ हि आपको खास नंबर दिया जाता है जो किसी ओर के पास नहीं होता है। जिससे ही हादसे के दौरान आपकी सम्पूर्ण जानकारी इस कार्ड के जरिये मिल सकेंगी। इस लिए यह कार्ड बेहद जरुरी है।

आधार कार्ड बनाने का तरीका

आधार कार्ड बनाने के लिए सरकार ने एजेंसीयों के जरिये अलग अलग जगहों पर कैंप लगाये जातें है। अगर आप इन कैंप में नहीं जा पाए हो तो आप अपने जिला के जीआरसी (जेंडर रिसोर्स सेंटर) या डिप्टी कमिश्नर ऑफिस में जा कर आधार कार्ड के लिए आवेदन दे सकतें है।
आधार कार्ड देश में रहने वाला कोई भी शख्स इसे बनवा सकता है। जिसके पास भारत कि नागरिकता का हो। बच्चों का भी आधार कार्ड बन सकता है। आधार कार्ड को बनवाने लिए साल भर में आप कभी भी समय आवेदन दे सकतें है।
आधार कार्ड के लिए अलग अलग सेंटर खोले जातें है। आधार कार्ड बनवाने के लिए सेंटर में पहचान और पते के तौर पर एक प्रमाण पत्र ले जाना होता है। प्रमाण पत्र में आप यह दस्तावेज़ लगा सकतें है पैन कार्ड, वोटर आई डी कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, बिजली का बिल, पानी या दूसरे किसी सरकारी बिल की फोटो कॉपी भी जमा सकते हैं।
अगर आपके पास कोई आई कार्ड नहीं है तो एमएलए, गैजटेड ऑफिसर, एमपी, मेयर से आवेदन कर सकते हैं। अगर आपके परिवार में अगर किसी एक के पास भी अगर पहचान का सबूत है तो वह अपना आधार कार्ड बनवाकर, फिर परिवार के बाकी सदस्यों का कार्ड बनवा सकता है। इसके लिए फोटो की जरूरत होती है, जो सेंटर पर ही खींची जाती है। रजिस्ट्रेशन फॉर्म ऑनलाइन भरा जाता है। और भरने के बाद उसे देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर ठीक भी कर सकते हैं। आखिर में आपको एनरॉलमेंट नंबर दिया जाएगा। जिससे आप अपने आधार कार्ड कि एप्लीकेशन कि स्थिति जांच सकतें है। आधार कार्ड को हम ऑनलाइन नहीं बना सकतें है। हां हम आधार कार्ड कि  एप्लीकेशन फॉर्म और आधार कार्ड कि स्थिति का जरुर पता लगा सकतें है। इसके साथ ही अगर आप चाहे तो आप ऑनलाइन अपॉइंटमेंट भी ले सकतें है।

आधार कार्ड से जुडी एहम बातें

आधार कार्ड के एनरोलमेंट के बाद सामान्य प्रक्रिया के अनुसार आधार कार्ड 2 से 3 महीनों के बीच आप तक पहुच जाता है। कार्ड भेजने की जिम्मेदारी पोस्टल डिपार्टमेंट की होती है। पोस्ट के जरिये आधार कार्ड आपके घर तक आएगा। अगर ऐसा होता है कि आधार कार्ड आपको नहीं मिलता है, लेकिन ऑनलाइन आपको यह जानकारी है कि आपका आधार कार्ड बन चूका है तो उस हालत में आप अपनी स्लिप लेकर जीआरसी या डीसी ऑफिस में जा सकते हैं। कोई भी शिकायत हो तो इन्हीं सेंटर में जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
साथ ही अगर कार्ड में किसी तरह का करेक्शन या सुधर करना हो तो भी आप इन्ही सेंटर में जाकर सुधार करवा सकतें है। यह काम ऑनलाइन आवेदन देकर भी हो सकता है। अगर आपके डाटा में कोई करेक्शन है तो भी आपको इन सेंटरों में जाना होगा। जीआरसी सेंटर और डीसी ऑफिसों में आधार कार्ड सुबह 9:30 से लेकर शाम 5 बजे तक बनाया जाता है। (जिसकी लिस्ट हमने आपको आधार कार्ड बनाने के तरीके में बताई है)
हमेशा यह सवाल पैदा होता है कि अगर आधार कार्ड नहीं बनवाया जाये तो क्या होगा? ऐसे में आप कई सारी सरकारी सेवाएं से वंचित हो जायेंगे। जैसे सब्सिडी और दूसरी सहूलियतें मिलने में परेशानी हो सकती है। क्योंकि ज्यादातर सरकारी सेवाओं के लिए आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है।

आधार कार्ड से मिलने वाली सहूलियतें


आधार कार्ड से आपको कई सारी सहूलियतें मिलती है जिसमे सबसे एहम है आपको घरों में मिलने वाली रसोई गैस। हाल ही में भारतीय सरकार के नियमों के अनुसार भारत वासियों को साल में 12 सिलेंडर (यह संख्या घट और बढ़ सकती है) दिए जायेंगे जो सरकार कि तरफ से सब्सिडी याने रियायती दरों पर लोगों को उपलब्ध करवाई जायेगी। और अगर आपको इससे ज्यादा सिलेंडर लेतें है तो आपको बिना रियायत के मिलेगा। जिसके लिए आपको आधार कार्ड बनवाना जरुरी है। 
इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए किस तरह आप अपने आधार कार्ड का प्रयोग कर सकतें है? जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि आधार 12 अंकों का एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है जिससे कोई भी सरकारी सहूलियतों का फायदा आप हि उठा सकतें है। अगर आपके जगह पर कोई किसी भी तरह से आपकी सुविधाओं का फायदा उठा रहा है तो इस कदम के बाद इसमें काफी हद तक कमी आएगी। इस सरकारी पहल से अगर आप अपने बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करतें है तो सब्सिडी कि रकम और स्कोलरशिप कि रकम सीधा आपके अकाउंट में आती है। जिससे बीच में होने वाली धांधलियों में कमी आती है।
मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड नेचरल गैस द्वारा भारत सरकार कि मदद से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर स्कीम (DBT) कि शुरुआत कि है। जिसमे आपका आधार कार्ड होना जरुरी है। और आधार कार्ड को बैंक अकाउंट से लिंक करना भी जरुरी है। अगर आपको सिलेंडर पर डिस्काउंट या रियायत चाहिए तो आपको कैश ट्रान्सफर कम्प्लेंट कस्टमर (CTC) कि सेवा का हिस्सा बनना होगा। यह सुविधा आप आपके किसी भी बैंक में जिसमे आपका अकाउंट है उस शाखा में जा कर आप आधार कार्ड को अकाउंट से लिंक करवाते ही आपको सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सकेंगा।

आधार के फायदे

कोई भी ऐसा काम, जिसमें पहचान की जरूरत होती है, इस कार्ड का इस्तेमाल हो सकता है।
  • आपकी पहचान सरकार को आसानी सेऑनलाइन मिल सकती है।
  • इस कार्ड के जरिए वेरिफिकेशन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
  • प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए भी आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है।
  • एम्प्लोयिज़ प्रोविडेंड फंड ऑफिस द्वारा संचालित ईपीएफ योजना के तहत फायदा पाने के लिए आधार कार्ड जरूरी है।
  • छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप भी आधार कार्ड के जरिए ही उनके बैंक में जमा करवाई जाएगी।
  • अलग अलग तरह के लाइसेंस बनवाने, कार और दूसरी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के लिए भी आधार कार्ड जरुरी होगा। 
  • मोबाइल नंबर लेने (सिम कार्ड) खरीदने के लिए भी यह कार्ड जरूरी होगा।
  • आधार कार्ड के जरिए अपना बैंक अकाउंट खुलवा सकते हैं।
  • इस कार्ड को कोई और इस्तमाल नहीं कर सकता है, जबकि राशनकार्ड समेत कई और दूसरे प्रमाण पत्र के साथ कई तरह कि गड़बड़ियाँ हुई है और होती रहती है।
आधार कार्ड के लिए मोबाइल नंबर और ई-मेल नंबर दें
  • आधार कार्ड के रजिस्टेशन फॉर्म भरते समय अगर आप अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर करतें है तो आपको मोबाइल पर एसएमएस के जरिए सरकारी सेवाओं की जानकारी मिलती रहेगी।
  • ठीक इसी तरह, अगर आप अपना ई-मेल देतें है तो तमाम सरकारी सुविधाओं कि जानकारी आपको ईमेल के जरिये मिल सकेगी।
  • अगर आपका मोबाइल नंबर और ईमेल आधार कार्ड बनाते समय नहीं दिया गया था तो आप आधार कार्ड बनने के बाद भी मोबाइल और ई-मेल को लिंक कर सकते हैं। इसके लिए आपको मैनुअल या ऑनलाइन एंट्री करनी होगी।
बैंक अकाउंट लिंक
  • आप रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरते वक्त या उसके बाद भी अपने बैंक का अकाउंट लिंक करा सकते हैं। इसके लिए आपको मैनुअल या ऑनलाइन एंट्री करानी होगी।
  • बैंक अकाउंट लिंक कराने से सरकारी स्कीम की रकम सीधे आपके अकाउंट में आने लगेगी।
  • अगर आप सरकारी योजनाओं की कैटिगरी में नहीं आते या सरकार के साथ बिजनेस करते हैं और आपकी राशि सरकारी एजेंसी पर बकाया है तो आपके अकाउंट में सीधा पैसा आ जाएगा।
  • रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर बस आपको अपना अकाउंट नंबर लिखना है, लिंक करने का काम अथॉरिटी करेगा।

सोमवार, 12 जनवरी 2015

गुरु का योगदान



अच्छी जमीन में भी पौधे तब उगते और बढ़ते हैं जब बीच, खाद और पानी की बाहर से व्यवस्था की जाती हैं। गुरु का कर्तव्य बीज, खाद और पानी की समुचित व्यवस्था करके शिष्य की मनोभूमि को हरी भरी बनाना होता हैं। माली जो प्रयत्न अपने बगीचे को हरा भरा बनाने के लिए करता है वही कार्य एक कर्तव्यनिष्ठ गुरु को भी अपने शिष्यों के लिए करना पड़ता हैं। आज गुरु शिष्य परम्परा एक विडंबना मात्र रह गई हैं। लकीर पीटने की तरह जहाँ तहाँ शिष्य-गुरु के अत्यंत दुर्बल आधार पर टिकी हुई परम्परा चिन्ह पूजा जैसी दिखाई पड़ती हैं। पर पात्रता के अभाव में उसका परिणाम कुछ भी नहीं निकलता और एक व्यर्थ की सी चीज बन कर रह जाती है। सत्पात्र शिष्य समर्थ गुरु की सहायता से जो लाभ उठा सकते हैं वैसा आज कितनों को मिलता हैं? कितना मिलता हैं? गाय अपना दूध बछड़ों के लिए निचोड़ देती है उसी प्रकार गुरु भी शिष्य की श्रद्धा से द्रवित होकर अपना संग्रही प्राण उसके लिए निचोड़ देता हैं। गुरु शिष्य का पास-पास रहना इस दृष्टि से आवश्यक माना गया हैं। प्राचीन काल में साधारण ब्रह्मचारी गुरुकुलों में रहकर विद्याध्ययन करते थे और साथ ही गुरु का स्नेह एवं प्राण तत्त्व निरन्तर उपलब्ध करते रह कर अपनी आत्मा को सब प्रकार परिपुष्ट बनाते थे । समीपता का प्रभाव पड़ता ही है। प्रबल व्यक्तित्व और श्रेष्ठ वातावरण के सान्निध्य में रहने मात्र से जितना लाभ होता हैं उतना अस्त-व्यस्त स्थिति में रहने वाला व्यक्ति बहुत साधन अध्ययन और प्रयत्न करने पर भी प्राप्त नहीं कर सकता।

शक्तिपात के सत्पात्र



योग शास्त्रों में शक्तिपात की चर्चा बहुत हैं समर्थ गुरु शक्तिपात के द्वारा अपने शिष्यों को स्वल्प काल में आशाजनक सामर्थ्य प्रदान कर देते हैं। सिद्ध योगी तोतापुरी जी महाराज ने श्रीराम कृष्ण परमहंस को शक्तिपात करके थोड़े ही समय में समाधि अवस्था तक पहुँचा दिया था। श्रीपरमहंसजी ने अपने शिष्य विवेकानन्द को शक्तिपात द्वारा ही आत्मसाक्षात्कार कराया या और वे क्षण भर में नास्तिक से आस्तिक बन गये थे। योगी मछीन्द्रनाथ ने गुरु गोरखनाथ को अपनी व्यक्ति गत शक्ति देकर ही स्वल्प काल में उच्चकोटि योगी बना दिया था। योग और अध्यात्मार्ग में ऐसे अगणित उदाहरण मौजूद हैं जिनमें समर्थ गुरुओं के अनुग्रह से सत्पात्र शिष्यों ने बहुत कुछ पाया हैं शिष्यों द्वारा सेवा के अनेकों कष्टसाध्य उदाहरण धर्म पुराणों में भरे पड़े हैं। इस प्रक्रिया के पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य छिपा पड़ा हैं। शिष्य की श्रद्धा, कर्तव्य बुद्धि, कष्ट सहिष्णुता, उदारता एवं धैर्य की परीक्षा इससे हो जाती है और पात्र-कुपात्र का पता चल जाता हैं। जब धन दान के लिए सत्पात्र याचक तलाश किये जाते हैं तो प्राण-दान जैसा महान् दान कुपात्रों को क्यों दिया जाय? सत्पात्र ही किसी महत्त्वपूर्ण वस्तु का सदुपयोग कर सकते हैं। कुपात्र उच्च तत्त्व का न तो महत्व समझते हैं और न उन्हें ग्रहण करने में समुचित रुचि ही लेते हैं। ठेल ठाले कर कोई कुछ दे भी दे तो उसका स्वल्प काल में ही अपव्यय कर डालते हैं इसलिए अध्यात्म क्षेत्र में प्रगति करने के लिए जहाँ समर्थ गुरु की नितान्त आवश्यकता रहती हैं वहाँ शिष्य की श्रद्धा एवं सत्पात्रता भी अभीष्ट हैं। दोनों ही पक्ष स्वस्थ हों तो प्रगति पथ की एक बड़ी समस्या हल हो जाती हैं।

मार्ग दर्शक की आवश्यकता



आध्यात्म मार्ग पर वास्तविक प्रगति करने के इच्छुक को किसी सत्पात्र मार्ग-दर्शक की तलाश करनी पड़ती हैं। इसके बिना उसका मार्ग रुका ही पड़ा रहता हैं। जब साधारण-सी स्कूली शिक्षा में अध्यापक की आवश्यकता रहती हैं, साइंस, रसायन, शिल्प, शल्यक्रिया, यंत्र-विद्या आदि सीखने के लिए किन्हीं अनुभवियों का सक्रिय मार्ग दर्शन आवश्यक होता है तो आत्म विज्ञान के छात्रों को शिक्षण की आवश्यकता क्यों ने होगी? पर खेद की बात यह है कि जैसे सच्ची लगन और श्रद्धा वाले साधक दिखाई नहीं पड़ते वैसे ही सत्पात्र गुरु भी अलभ्य हैं। उतावले शिष्य और ढोंगी गुरुओं की हर जगह भरमार है पर उनसे प्रयोजन कुछ सिद्ध नहीं होता। ठोस प्रगति के लिए आधार भी ठोस ही होना चाहिए। जिन्हें सत्पात्र मार्ग-दर्शक मिल गये उनकी आयी पार हो गई ऐसा ही समझना चाहिये। गुरु अपने शिष्यों को शिक्षा तो देते ही हैं साथ ही अपने तप, पुण्य और प्राण में से भी अंश उसे प्रदान करते हैं। जैसे पिता अपनी कमाई का उत्तराधिकार पुत्र को छोड़ जाता है वैसे ही गुरु भी अपनी उपार्जित आत्म-सम्पदा का एक बड़ा भाग अपने शिष्यों को प्रदान करता है। इसी कारण गुरु को धर्म-पिता का स्थान दिया जाता हैं। जिस प्रकार पिता से पुत्र का गोत्र या वंश बनता है उसी प्रकार प्राचीन काल में गुरु से भी शिष्य का गोत्र बनता था, यही कारण हैं कि एक ही ऋषि के गोत्र विभिन्न वर्णों में पाये जाते हैं। यदि शिक्षा देना मात्र ही गुरु का काम रहा होता तो कदापि उन्हें इतनी महत्ता प्रदान न की जाती। पिता अपना वीर्य, पोषण स्नेह और उत्तराधिकार देकर ही पुत्र की श्रद्धा का भाजन बन पाता हैं । धर्म पिता-गुरु को इससे भी अधिक देना पड़ता है। वह अपनी आत्मा को शिष्य की आत्मा में और अपने प्राण को शिष्य के प्राण में ओत-प्रोत करता हैं। केवल साधना का मार्ग ही नहीं बताता वरन् आवश्यक शक्ति भी प्रदान करता हैं जिसके बल पर वह आत्मोन्नति के कठिन मार्ग पर सफलता पूर्वक अग्रसर हो सके। जिन्हें इस प्रकार की सहायता से वंचित रहना पड़ा उनमें से कोई विरले ही साधक सफलता प्राप्त कर सके अन्यथा आधार दृढ़ होते हुए भी उन्हें बीच में ही लड़खड़ा जाना पड़ा।

दृढ़ निश्चय और धैर्य


प्राणमय कोश के विकास के लिए प्राणायाम के साथ ही संकल्प साधना भी आवश्यक हैं। दृढ़ निश्चय और धैर्य के अभाव में हमारे कितने ही कार्य आज आरंभ होते और कल समाप्त हो जाते हैं,। जोश में आकर कोई काम आरंभ किया, जब तक जोश रहा तब तक बड़े उत्साह से वह काम किया गया, पर कुछ दिन में वह आवेश समाप्त हुआ तो मानसिक आलस्य ने आ घेरा और किसी छोटे-मोटे कारण के बहाने वह कार्य भी समाप्त हो गया। बहुधा लोग ऐसी ही बाल क्रीड़ाऐं करते रहते हैं। अध्यात्म मार्ग से तत्काल प्रत्यक्ष लाभ दिखाई नहीं पड़ता उसके सत्परिणाम तो देर में प्राप्त होने वाले तथा दूरवर्ती हैं। तब तक ठहरने लायक धैर्य और संकल्प बल होता नहीं इसलिए आध्यात्मिक योजनाएँ तो और भी जल्दी समाप्त हो जाती हैं। इस कठिनाई से छुटकारा पाने के लिए हमें संकल्प शक्ति का विकास करना आवश्यक हैं। जो कार्य करना हो उसकी उपयोगिता अनुपयोगिता पर गंभीरतापूर्वक विचार करें। ऐसा निर्णय किसी आवेश में आकर तत्क्षण न करें वरन् देर तक उसे अनेक दृष्टिकोणों से परखें। मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को सोचें और उनका जो हल निकल सकता हो उसे पर सोचें। अन्त में बहुत सावधानी से ही यह निर्णय करें कि यह कार्य आरंभ करना या नहीं। यदि करने के पथ में मन झुक रहा हो तो उसे यह भी समझाना चाहिए कि बात को अन्त तक निबाहना पड़ेगा। कार्य को आरंभ करना और जरा-सा आलस या असुविधा आने पर उसे छोड़ बैठना विशुद्ध रूप से छिछोरापन हैं। हमें छिछोरा नहीं बनना हैं ।वीर पुरुष एक बार निश्चय करते हैं और जो कर लेते हैं उसे अन्त तक निबाहते हैं। अध्यात्म मार्ग वीर पुरुषों का मार्ग है। इस पर चलना हो तो वीर पुरुषों की भाँति, धुन के धनी महापुरुषों की भाँति की बढ़ना चाहिए। छिछोरपन की उपहासास्पद स्थिति बनने देना किसी भी भद्रपुरुष के लिए लज्जा और कलंक की बात ही हो सकती हैं।